सतरंगी पंख

खोल पंख सतरंगी अपने

उड़ जा आसमान में

आज तेरे पंखों को उसने

खोल दिया है इतना

ऊँची भर उड़ान पहुंच फिर

है कोई आशियाना वहां

तेरा इंतज़ार करता है कोई

है तुझे जाना वहां

वही देगा हौंसला उड़ने को

तेरे पंखों में कहां दम है

है याद उसकी नाम जुबां पर

ये भी क्या इनायत कम है

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