आओ सनम

आओ सनम अब आ भी जाओ कैसे हम जी पाएंगे
तेरे बिना  यूँ जीना ज़हर है कैसे हम पी पाएंगे

दर्द बढ़ा जाता है हर पल जख्म हमारे बहते हैं
लब पर लफ्ज़ नहीं आते हैं अश्क़ हमारे कहते हैं
बिखरा हुआ है दिल और जिस्म ये कैसे हम सी पाएंगे
आओ सनम........

कहनी है कुछ दिल की बातें बैठो तो हाल कहें
तुम ही हाल ना देखो मेरा जा जा किसको दर्द कहें
हम बहते हुए अश्कों में भी तुमको ही पाएंगे
आओ सनम.......

चैन गवाया दिल का हमने जब से तुमसे इश्क़ हुआ
मर्ज़ लगा हो जिसको इश्क़ का लगती नहीं कोई दवा
तुमको ही अब आना होगा हम साहिब नहीं आएंगे
आओ सनम......

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून