ये तराने हैँ

ये तराने हैं जो मोहबत के
ये इश्क़ ए इलाही के फ़साने हैं
तेरी ही रहमत है जो इश्क़ हुआ
तेरे ही करम से तेरे दीवाने हैँ

तू न चाहे तो क्या मुमकिन होता
होंठ से नाम भी नहीं ले पाते
यूँ समाए बैठे हो दिल में अब तुम
ये भी तेरे इश्क़ के नज़राने हैं
ये तराने हैं.......

तेरा ही इश्क़ है ये की मुझे इश्क़ हुआ
अब तेरी रज़ा ही हो चली मेरी रज़ा
तुम हो या मैं हूँ ये भी भूल जाती हूँ
ऐसी दीवानगी की खुद से भी अनजाने हैं
ये तराने हैं........

गर्दिशों के दौर में भी महक तेरी है
खुशिओं की छाँव में कसक तेरी है
तू मेरे हर दौर में शामिल है ऐसे
अब हम खुद से ही बेगाने हैं
ये तराने हैँ........

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