दरस दो बनवारी
दरस दो गिरधारी
दरस दो बनवारी
दरस की प्यासी मेरी अखियाँ
दरस सो इक बारी
बाँवरी हो गई तुझे पुकारूँ
पल पल तेरी राह निहारूँ
निशदिन पिया पिया नाम रटूं
सुधि लो ना इक बारी
दरस दो बनवारी.......
आओ कान्हा जल्दी आओ
क्यों है इतनी देर लगाई
दिन तेरे सपनों में काटा
रैना जागी सारी
दरस दो बनवारी......
तुम बिन कौन खबर ले मेरी
प्रीती तुम संग जोड़ी
चरण पड़ी अब दासी तुम्हारी
काहे दी बिसारी
दरस दो बनवारी.........
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