कबसे प्रीत लगाई साजन
कबसे प्रीत लगाई साजन
कबसे कीन्हीं सगाई
बाँवरी बैठी राह निहारे तेरी
क्यों है सुधि बिसराई
नहीं आये मेरे श्याम पिया जी
क्यों है देर लगाई
अब ले जाओ देस अपने ही
कीन्हीं सबने पराई
बाट निहार रही मनमोहन
काहे देर लगाई
सौंप दी डोर हाथ तुम्हारे
जानो मेरी भलाई
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