इम्तेहां लेते हैं साहिब
इम्तेहां
कितने भी लो इम्तेहां
तुम जो साथ हो
तो क्या बात हो
देखूं सब कहीँ तेरे निशां
इम्तेहां ........
हर रूप में मिल जाते हो
हर धूप में मिल जाते हो
बनके क्यों छाया आ जाते हो
नाम तेरा लेती है मेरी जुबां
इम्तेहां........
साथ हो तुम तो क्या बात है
हर तरफ तेरी ही कायनात है
उड़ती हूँ मैं तेरे इश्क़ के दम
तेरे परों से मेरी है उडाँ
इम्तेहान .........
तेरा रंग है मुझपे थोडा सा
तेरा नशा मुझपे चढ़ा सा
तेरी ही महक से महकी हूँ
क्या ये कशिश है तेरे मेरे दरमियाँ
इम्तेहां ..........
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