पाक इश्क़
है सारी कायनात रोशन
जिसके पाक इश्क़ से ही
उसी की परछाइयाँ है
जमीं पर बिखरी बिखरी सी
वही फूलों की खुश्बू है
वही हैँ रुख हवाओं के
वहीं हैं घुली हुई महकें
वही हैं सुर्ख फ़िज़ाओं में
उन्हीं के इश्क़ से देखी
हसती है कायनात सारी
उन्हीं को सज़दा इस रूह का
उन्हीं पर ज़िन्दगी वारी
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