तेरी थी तेरी हूँ
तेरी थी ....तेरी हूँ ....मुझको तेरी रहना है
मत रोको इक पल भी मुझको संग हवा के बहना है
कानों में है गूँज रही तेरी ही मीठी बातें
तनहा तनहा कटती नहीं लम्बी हुई कितनी रातें
सुन लो मेरे दिल की सदा मुझको तुमसे कहना है
तेरी थी.......
उड़ जाऊं मैं संग हवा के तेरे पास चली आऊँ
दिल तो कबसे पास तेरे मैं कैसे अब रह पाऊं
बहुत गुज़ारा वक़्त कभी अब तो दूर ना रहना है
तेरी थी......
कई बेताबी इतनी है जैसे तुम हो दूर कहीं
दिल बोले के पास मेरे ऑंखें क्यों देखी नहीं
बहुत सहा है दर्द ये दिल का बोलो कितना सहना है
तेरी थी........
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