इश्क़ तेरा
नस नस में बहे इश्क़ तेरा
ऑंखें मेरी सूनी सी हैं
पूछने पर बताती हैं
इनमे किसी का आशियाना नहीं
आ जाओ ना रह लो
इन आँखों को आशियाना करो
अब तक तो दिल दीवाना है
रूह को भी दीवाना करो
ऐसी दीवानगी चढ़े मुझपर
की रूह तुझमे फनाह हो जाये
मैं रहूँ ना मेरी हस्ती रहे बाक़ी
सब तुझमें ही फनाह हो जाए
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