है यकीं तेरे इश्क़ पर
है यकीन तेरे इश्क़ पर
तेरे इश्क़ सा इश्क़ नहीं
कहीँ दूर खड़े तुम देख रहे
दिल बोले हो तुम यहीं कहीं
नज़र में आते नहीं मेरी पर
करीब हो दिल के है यकीं
क्यों घुल से रहे हो रात दिन
कहां हो क्यों नज़र में नहीं
तुम्हें चाहना ही इबादत है मेरी
तेरी चाहत के बिन कोई चाहत नहीं
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