भोरी सखी भाव रस
अपनी प्रिय स्वामिनी जु प्यारी जु श्रीराधा जु को उनकी सखी कहती है प्यारी जु मोय क्या स्वप्न आय रह्यो। प्यारी जु सखी के मुख की ओर देखने लगती है और उत्सुक हो जाती है कि सखी के हृदय में क्या भाव है। प्यारी जु लाल जु ...... ।आह ! लाल जु का नाम सुनते ही प्यारी जु की दशा ही देखते बन रही है। नाम सुनते ही प्यारी जु अधीर हुई जा रही है।उनकी विवहलता को देखते हुए पुनः सखी उनको संयमित करते हुए पुनः उन्हें प्रियतम लाल जु की बात सुनाने लगती है। प्यारी जु मोहे ऐसो सपना आयो कि लाल जु आपके चरण कमल हिय से लगाय रह्यो, मन्द मन्द मुस्करा रहे हैं। पुनः पुनः नेत्र बन्द कर रहे हैं स्वामिनी जु जैसे आपके चरणों की नख प्रभा का दर्शन करते ही व्याकुल हुए जा रहे हैं। ऐसे प्रसन्न होय रहे जैसे उनको उनकी सर्वोत्तम निधि मिल गयी हो। पुनः पुनः आपके चरणों का स्पर्श करते हैं पुनः पुनः हृदय से लगा रहे हैं। इन्हीं चरणों की उपासना ही उनका निरन्तर भजन हो जैसे। हृदय से स्पर्श कर पुनः पुनः अपने भीतर के ताप को शांत कर रहे हैं।उनकी प्रसन्नता देखते नहीं बन रही है। आपके चरणों का आश्रय धारण करते ही उनके हृदय का आह्लाद ऐसो होय रह्यो की सम्पूर्ण राग रागनियां जैसे भीतर से प्रस्फुटित हो रही हैं। अपनी नूपुर को स्पर्श करते ही जो ध्वनि आ रही है उसी में सम्पूर्ण जगत रसमय हुआ जा रहा है। कोटि कोटि ब्रह्मांडों में मधुर्य का संचार करने को मधुर राग रागिनी ध्वनित हो रही है जिसका आश्रय लेकर ही लाल जु आपका चरण वंदन कर रहे हैं।जैसे स्वयम को पूर्णत बलहीन मान चुके हैं कि उनके पास भी ऐसा कोई बल नहीं जिससे आपके चरणों की वंदन हो सके। कोटि कोटि ब्रह्मांडों के स्वामी स्वयम अधीर हुए जा रहे कि अपनी स्वामिनी जु के चरण मेरी निधि मेरा जीवन मुझे प्राप्त हो रहा है परंतु मैं किस प्रकार अपनी स्वामिनी जु की सेवा कर सकूं। किस प्रकार उनकी रूप माधुरी का अवलोकन करूँ ।आपके चरणों का आश्रय लेकर आपकी माधुरी का आस्वादन कर रहे हैं अपने नयनों को आनन्द दे रहे हैं।श्रीराधा श्री स्वामिनी जु आपके चरण ही इनकी सबसे अमूल्य निधि है जिसका वंदन ही इनका जीवन होय रह्यो है। प्यारी जु मैं तो लाल जु की इस दशा पर बलिहारी जा रही हु । आपके चरणों की सेवा की अभिलाषा हम सब दासियों का ही नहीं अपितु लाल जु का भी सौभाग्य है, भजन है, जीवन है, आनन्द है, आह्लाद है ,परन्तु अतृप्ति भी है। अतृप्ति इसलिए प्यारी जु की यह सेवा ही तो जीवन है एक भी क्षण आपके चरण आश्रय बिना जीवन हो तो वह जीवन भी स्वीकार नहीं है । सखी कहती है आपकी इस रूप सुधा में खोए हुए लाल जु मेरे स्वप्न में मुझे आनन्द दे रहे हैं इसी स्वप्न में मेरी पूर्ण रात्रि व्यतीत हो गयी है।
Jai ho braj ki maharani pav panda tub padhu tum the theher k jaiyo radhe
ReplyDeleteDhoor mei moku Milano baat pe Mano itii....Haye meri dhoor pe phir panv dharke jaiyo hey naharani nek dekh leejo
Panv pankaj 😢
ReplyDeleteलाडली जु के चरण कोमल माखन से भी प्यारे...
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