मुझको ढूंढें
मुझको ढूंढें यहां वहां
देख छुपा मैं कहाँ कहाँ
सुन लो मुझे हर आह्ट में
उस मीठी सी मुस्कुराहट में
तुमको मैंने छुआ जहां
मुझको ढूंढें........
देख ले महकी हुई कली
क्यों ढूंढें मुझे गली गली
क्या दिखते नहीं मेरे निशां
मुझको ढूंढें..........
तेरी भीतर की तपिश में भी
और सुलग रही आग में ही
देखो उठता हुआ धुंआ
मुझको ढूंढें.........
हो महसूस हर बारिश में
इक पगले से आशिक़ में
बीत चला है देख समां
मुझको ढूँढे.........
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