घुंघरू 2
2
हे स्वामिनी जू ! मुझ अधम पर कृपा करो। मेरामन इस संसार के विषय विकार से हटा दो लाडली जू। मुझे आपके चरणों का अनुराग प्राप्त हो जावे। आपका नाम ही मेरा धन हो जाये किशोरी जू । जानती हूँ मेरी योग्यता नहीं है पर किशोरी जू आपकी कृपा तो अनन्त है। करुणामयी हो दयामयी हो मुझ अधम को नहीं रखोगी क्या आपका कोमल हृदय ये स्वीकार करेगा किशोरी जू कि आपको याद करके रोती रहूँ और आप मेरी और एक बार भी नहीं देखो। हे किशोरी जू मेरी और देखो एक बार ।
प्रेमपूरित अश्रुओं से मैं तेरो चरण पखारूँ !
नित्य प्रसन्न भए लाडली राधा नाम उचारूँ !!
चरण तेरे धोय दूँ लाडली नैन जल बरसाऊँ !
कौन विधि सों मेरी श्यामा तोहे आज रिझाऊँ !!
कब मोहे शरण में अपनी लीजो विनय करूँ दिन रैन !
तेरी बाट निहारत स्वामिनी छलक रहे मोरे नैन !!
अटपट मोरी वाणी लाडली कौन विधि गुणगान करूँ !
अपने नाम की भिक्षा दीजो श्यामा तब मैं प्राण धरूँ !!
अबहुँ रख लीजो मोरी श्यामा देर भई अबहुँ भारी !
रोय रही कबसों श्यामा लाडली मैं अब दासी तिहारी !!
हे किशोरी जू ! आपके बिना मेरा जीवन काल रात्रि सम हो गया है। मुझे आपके चरणों का जब तक आश्रय नहीं मिलेगा राधे जू मुझे कहीं विश्राम नहीं होगा। स्वामिनी जू ! मुझमें ऐसा कोई बल नहीं कोई जप साधना नहीं कि आप मुझसे प्रसन्न हों। कुछ टूटा फूटा सा साधन हो भी तो बलहीन ही है। आपके चरणों का आश्रय तो केवल आपकी अनन्य कृपा ही है लाडली जू। मुझ अधम का बल आप ही हो मेरी किशोरी जू । मैं मतिहीन अधम पातकी तो दुर्गुण की खान हूँ स्वामिनी जू आपकी करुणा दयालुता का बखान करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। लाडली जू मेरे मुख से निकलने वाला आपका नाम भी तो आपकी कृपा ही है। भोरी राधिके अब मेरी और कृपा दृष्टि कीजिये।
मेरी भोरी किशोरी राधे स्वामिनी निरखो मेरी ओर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
काल रात्रि विषय भोग की होय अन्धकार घनघोर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
तेरो चरण ही ठौर राधिके और नहीं कोई ठौर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
तेरो शरण पड़ी राधिके और जाऊँ किस ओर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
सदा सुहावे जोड़ी तुम्हारी संग नटवर नन्दकिशोर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
तुम करुणा की खान राधिके मो सम पतित ना ओर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
हरो स्वामिनी सब भव बाधा करूँ विनय कर जोर !
निरखो मेरी ओर राधिके मेरो जीवन की भए भोर !!
कभी कभी मन इतना व्याकुल हो जाता है कि श्री जू के चरणों की आस को छोड़ सारा जगत व्यर्थ ही लगने लगता है। कभी जगत में हर ओर ही किशोरी जू प्रतीत होने लगती हैँ। हाय मेरी किशोरी कितनी कृपामई है मुझ अधम को कहाँ कहाँ अपनी प्रतीति देने लगती हैँ। वो आकाश का नीलवर्ण मुझे किशोरी जू का नीलाम्बर ही प्रतीत होने लगता। भीतर से यही अनुभव होता कि श्यामा कहती हैं मैं तो तुमसे दूर ही नहीं हूँ।
जित देखूं तित श्यामा मोरी !
जित देखूं तित राधा मोरी !!
नवल भामिनि नित्य किशोरी !
रास विलासिनी राधा भोरी !!
पवन सूर्य में जल में थल में !
चहुँ और निर्बल में सबल में !!
मन से श्यामा सब में दीखे !
जगत बना सब श्यामा सरीखे !!
स्वास् स्वास् में मन विश्वास में !
पल पल लगी उसी आस में !!
चहुँ और श्यामा ही मोहे लागे !
व्याकुल भये मेरे प्राण अभागे !!
आहा! चहुँ और मेरी लाडली जू ही तो हैं। सब उन्हीं की शक्ति से ही हो शक्तिमान है। हाय ! मेरी किशोरी जू मुझे हर ओर अनुभूत हो रही हैँ। परन्तु ये अनुभूति कुछ देर बाद पुनः पीड़ा में परिवर्तित हो जाती है।
हाय किशोरी ! मैं अधम गुणहीन जगत का विषयी कीट और आप कोमल किशोरी। मेरे मुख से आपका नाम भी निकले तो लगेगा मलिन हो गया है। श्री स्वामिनी जू ! मुझ अधम में आपका नाम लेने का सामर्थ्य भी नहीं हो रहा है। मेरी कर्कश वाणी कहीँ आपके कोमल चित् को कष्ट तो नहीं दे देगी स्वामिनी जू। मेरी तो पुकारने की भी सामर्थ्य नहीं किशोरी जू। अपनी अधमता देखूं तो आपका नाम भी नहीं लूँ। पर आपके श्री चरणों के बिना मेरे मन को कहीँ विश्राम नहीं होगा किशोरी जू। मेरी इस दाह को तृप्त कीजो अब मैं आपकी ही हूँ जैसी भी हूँ आपके चरण छोड़ मुझे कहीँ नहीं जाना है। आपके चरण ही मेरे चारो धाम हैँ । आपके नाम बिना मैं निर्धन हूँ । मुझे आपके नाम का ही धन चाहिए और आपके चरणों का ही आश्रय चाहिए।
तेरे ही चरणों में लाडली है सुख चारों धाम का
कृपा करो अब मेरी लाडली यश गाऊँ तेरे नाम का
तेरे ही चरणों में......
जिस पर नज़र कृपा की हो जीवन अमृत रस से भर दो
अपने चरणों की प्रीत जगा कर इस पतिता को पावन कर दो
तेरे चरणों में प्रीत जगे ना ये जीवन किस काम का
कृपा करो अब मेरी लाडली यश गाऊँ तेरे नाम का
तेरे ही चरणों में.......
अब तो प्यारी मुझे बुला लो अपने धाम बरसाने में
जग के सुख मैं छोड़ दूँ सारे तेरी सेवा का सुख पाने में
चरणों की रज दे दो प्यारी वास मिले ब्रजधाम का
कृपा करो अब मेरी लाडली यश गाऊँ तेरे नाम का
तेरे ही चरणों में.......
इतनी विनय अब सुनो लाडली मैं अब ब्रज रज बन जाऊँ
तेरे रंग में रंगूँ लाडली पल पल मैं श्यामा गाऊँ
श्यामा श्यामा नाम ही गाना काम हो सुबह शाम का
कृपा करो अब मेरी लाडली यश गाऊँ तेरे नाम का
तेरे ही चरणों में लाडली है सुख चारो धाम का
कृपा करो अब मेरी लाडली यश गाऊँ तेरे नाम का
क्रमशः
Shri harivansh
ReplyDeleteWah .. kia bhaav dia... Radhe kisna
ReplyDeleteजय हो
ReplyDeleteहां किशोरी जु...
ReplyDelete