अन बुझी प्यास

लाख बार समझाया दिल को
हसरत ना कर बेताब ना हो
उनको आना हो आ जायेंगे
तू बांवरे विश्वास ना खो

दिल बोले उनको आना है
पर मुझमे सब्र ज़रा कम है
है देर लगी कुछ आने में
तभी तो आँख मेरी नम है

क्यों करूँ इस बेचैन दिल का
इसको मेरी ना सुनाई दे
बोले के मुझको है मिलना
कैसे मिलें जो ना दिखाई दे

एहसास तो करता हूँ दिल बोला
पर मुझको उनकी आस लगी
जब तक ना दीदार हो उनका
इक अन बुझी सी प्यास लगी

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