सांवरे मेरे प्राणाधार
सांवरे मेरे प्राण आधार
मेरी विनय सुनो इक बार
भटक रही हूँ जन्मों से
अब मेरी और निहारो
मुझ दासी पर कीनो दृष्टि
क्या लागे हरि तिहारो
और कोई मेरी ठौर नहीं
तुम ही मेरे रखवार
सांवरे ..........
अवगुण भरी हरि मैं आई
तेरे द्वार पुकार लगाई
रो रो विनती करूँ नाथ अब
सुधि लीजो मेरी कुंवर कन्हाई
और कोई मेरी ठौर नहीं
तुम ही मेरे रखवार
सांवरे........
तुम ना रखोगे अगर हरि जी
किस द्वारे फिर जाऊँ
कोई साधना बल नहीं मुझमेँ
किस विधि तुम्हें रिझाऊँ
और कोई मेरी ठौर नहीं
तुम ही मेरे रखवार
सांवरे..........
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