क्यों आज दिल में
क्यों आज दिल में है दर्द इतना
की लब से नाम नही निकलता
बड़ा सम्भाला था दिल को अपने
हाय बेचारा नहीं सम्भलता
है चोट गहरी तेरे इश्क़ की
और दर्द भी मज़ा दे रहा है
हस हस सह लूँ ये दर्द सारे
खुशकिस्मती से ये दर्द मिलता
क्यों आज दिल.......
छुपे रहोगे कब तक यार मेरे
इक रोज़ तुमको भी आना होगा
मेरे दिल का दर्द अब समझ लो
है दर्द में दिल मेरा जलता
क्यों आज दिल.........
नहीं हवा दो इन चिंगारियों को
हुई जो आतिश सम्भल ना पाएंगी
जलाके कर देंगी धुआं धुआं सा
फिर शोला कैसे बुझाना होगा
क्यों आज दिल..........
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