कान्हा मेरे घर भी आना
कान्हा !
मेरे घर भी आना
जन्म जन्म से भटकी भगवन
अब तो दरस दिखाना
कान्हा !
मेरे घर........
अवगुण भरा हरि मन मेरा
अपनी कृपा ही कर दो
प्रेम अपने की भिक्षा दो अब
प्रेम से मन को भर दो
नहीं योग्यता भगवन मेरी
कृपा से योग्य बनाना
कान्हा !
मेरे घर.........
दूर करो सब अवगुण नाथ जी
मन को मन्दिर करना
इस दासी को करो पुजारिन
अपनी कृपा से करना
दीन पतित मैं अवगुण वाली
हरि सेवा सदन बनाना
कान्हा !
मेरे घर..........
तेरी कृपा से कुछ नही मुश्किल
सब सम्भव हो जाए
हर पापी अधमी तर जाए
जिस पर कृपा हो जाए
मुझसा कोई नहीं पातकी
अपनी शरण बैठाना
कान्हा !
मेरे घर........
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