किया मैंने
खुद को भुला बैठे जब
तेरा एहसास जिया है मैंने
खुद रहूँ तो ज़िन्दगी प्याला ज़हर का
वो भी तेरे इश्क़ में पिया मैंने
तेरी चाहत की चाहत होनी थी कभी
क्यों फ़िज़ूल चाहतों को किया मैंने
ज़ख्म बन गया तेरा इश्क़ कभी
तेरी ही याद से फिर सिया मैंने
कभी कुछ देने के काबिल बना मुझे
आज तक सबसे ही लिया मैंने
है इश्क़ तेरा ही इबादत मेरी
और कोई काम ना किया मैंने
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