नया ख्वाब
मेरी आँखों ने आज एक
नया सा ख्वाब देखा है
नज़र से दूर जो रहता
वो दिल के पास देखा है
वो आता है मिलने को
उसी का रूप भीतर एक
मैं तो खाली सा मकान हूँ
छिपा है कोई भीतर एक
कोई उसको ही मिलता है
मुझे तो ये ही भाता है
जो जिसका है उसे मिलने
उसी का रूप आता है
Comments
Post a Comment