श्याम जी प्रीत निभाओ जी

श्याम जी प्रीत निभाओ जी
दीन हीन पड़ी द्वार तिहारे
मत बिसराओ जी
श्याम जी .......

पतित पावन है नाम तिहारो
करो पतित को पावन
अवगुण भरा मलिन मन मेरा
कंटक भरा है दामन
नाथ सम्भालो डोर जीवन की
अब ना देर लगाओ
श्याम जी.......

जन्म जन्म का नाता सांवरे
मेरी और निहारो
सुधि लो अब दीन जनन की
भाग्य मेरा संवारो
तुम बिन कौन है प्रीतम मेरा
शरण पड़ी अपनाओ
श्याम जी.........

तुम संग डोर नेह की बांधी
जैसे चाहो अपनालो
ठोकर मार दूर करो या
चरणों में बैठालो
डूब जाये ये नैया मेरी
चाहे पार लगाओ
श्याम जी ........

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