कुछ यादें

1
इश्क़ का मौसम है साहिब
हर और शबाब है
चिल्मनों में ही छुपे रहो कान्हा
जमाना खराब है
2
मत आना मेरे सामने
की नज़र में भर लूँगी
होश कुछ बाक़ी रखा है
जाने किधर कर लूँगी
3
मदहोशी हो गयी है
तेरी नज़रों का है मयखाना
मुझे डूबना है साहिब
नहीं है अब वापिस जाना
4
अब हो गए हैं तेरे
रख लो चाहे मिटा दो
तेरे इश्क़ में जी रहे हैं
प्यार दो चाहे सज़ा दो
5
मिटा दे यार मुझको
अब तू है मैं नहीं हूँ
मैं खो जाऊं तुझ में
तू जहां अब वहीं हूँ
6
नहीं और कोई दर मेरा
बोलो अब किधर जाएँ
तू ही जीने की वजह है
और वजह कहां से लाएं
7
ये कौन दे रहा है दस्तक
मेरी रूह को छू रहा है
तू है वो अक्स तेरा ही
मुझमें भी अब तू रहा है
8
मेरा यार मुझ में ही था
कहां ढूंढती थी मैं
अब वो मिल गया है
मेरा पता बता दो

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