नादान हूं मैं
नादान हूँ मैं क्या जानू
कैसे तुम इश्क़ निभाते हो
दिल में रख लेते हो सब
बस नज़रों से ही सब बताते हो
नहीं मैं खफा नहीं हूँ तुमसे
तेरी खामोशियों से डरती हूँ
क्या कहूँगी जब मिलोगे मुझे
तुम भी क्या राज़ ए दिल बताते हो
आदत हो चली रूठने की तुम्हें
और मनाने का फ़न सीख लिया मैंने
अब तुमको मना के जीना मुझे
देखूं अब कितना तुम सताते हो
अबकी आओगे तो जाने नहीं दूंगी
रखना है तुमको आगोश में अपने
दिल में बस जाओ घर तुम्हारा है
क्यों बार बार छोड़ चले जाते हो
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