कैसे जियूं मैं तुम बिन कन्हाई
कैसे जियूं बोलो मैं कन्हाई
आई पल पल तेरी याद आई
क्यों तुमने है दिल से भुलाया
बाँवरी ने क्या हाल बनाया
दीन बन्धु कहाते हो क्यों तुम
जब दीनों की नहीँ सुनवाई
कैसे जियूं........
माना हूँ मैं पतित नाथ मेरे
पतित पावन भी तो नाम तेरा
क्यों मुझको नहीं तुमने देखा
देखो करते हो क्यों रूसवाई
कैसे जियूं.........
नहीं करुणा भरी मन में तेरे
क्यों करुणानिधि नाम धराया
क्यों तुमको दया नहीं आती
मेरी रो रो आँख भर आई
कैसे जियूं..........
Comments
Post a Comment