मोहे ना बिसारो नाथ

मोहे ना बिसारो नाथ
हूँ शरण में तिहारी
जन्म जन्म की पूँजी पायी
मन्दमति ने बिगारी
मोहे ना बिसारो .....

ना सेवा ना भक्ति किन्ही
ना कोई नियम धराया
मुझ अधमी पर कृपा नाथ की
फिर भी गले लगाया
जन्म जन्म की पूँजी पायी
मन्दमति ने बिगारी
मोहे ना बिसारो.......

तुम सा कोई दयावान नही
मुझसा अधम ना कोई
रख लो अपनी चौखट मुझको
दासी तेरी होई
जन्म जन्म की पूँजी पायी
मन्दमति ने बिगारी
मोहे ना बिसारो......

तेरी शरण पड़ी सांवरे
और कहां मैं जाऊँ
इतने मेरे हीन कर्म हैं
क्या मैं तुमसे छिपाऊं
जन्म जन्म की पूँजी पायी
मन्दमति ने बिगारी
मोहे ना बिसारो......

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