बैठी कबसे मैं कुंवर कन्हाई

बैठी कबसे मैं कुंवर कन्हाई
आई आई तेरी याद आई

हाय तुझको पुकारूँ मैं कबसे
तेरी राह निहारूँ मैं कबसे
सब छोड़ा तेरे लिए कान्हा
तुमने इतनी क्यों देर लगाई
बैठी कबसे.........

नाथ मुझको तेरा ही सहारा
कैसे मिलता है प्रेम तुम्हारा
करुणानिधि हो दया के हो सागर
कहां करुणा है तेरी समाई
बैठी कबसे.........

तेरे दर पर पड़ी मैं भिखारिन
तुम हो स्वामी तेरी मैं पुजारिन
दे दो प्रेम की भिक्षा मेरे कान्हा
मेरी मनहर क्यों सुधि बिसराई
बैठी कबसे.....

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