मैं चाकर तेरा दण्डी स्वामी जी
मैं चाकर तेरे दर दा
दस हुक्म की तेरा मेरे मालका
केह्डी मैनू सेवा बक्षणी
तेरी रज़ा विच राज़ी मेरे मालका
मैं चाकर तेरा दण्डी स्वामी जी
तेरे ही हुक्म विच राज़ी मैं रहणा
सुख देवें दुःख देवें मुखों नहीं कहणा
असी तेरी ही निगाह विच रहणा
मैं चाकर........
तेरे दर दी मैं बण जावाँ धूड़ ही
सेवा करां तेरी दित्ती साहिब हज़ूर दी
तेरे दर दा सेवक बण रहणा
मैं चाकर......
तेरे दर मिली दाता खुशियाँ दी दात ही
सिर मथे लावां तेरी दिती हर सौगात ही
तेरियां रहमतां दा दातेया की कहणा
मैं चाकर.......
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