सोचती हूँ

सोचती हूँ

अब कुछ ना सोचूँ

तुम्हीं ने कुछ सोच रखा होगा

क्यों हुआ ये सब
तुम चाहते थे
इसलिए
आगे भी जो होगा
तुम्हारे चाहने से ही

जब सब होता ही तुम्हारे चाहने से
तो फिर क्या सोचना

अब तुम्हें चाहने की चाहत ही रहे
और किसी चाहत की
भी चाहत ना हो

क्यों खामोश हूँ
इतना होने के बाद भी
क्यों मन भी नही रोया
शायद ये होना ही था
क्योंकि
जो तुमने सोचा
वो मेरी सोच से बेहतर होगा
यक़ीन है तुम पर
तो क्यों सोचूँ
तुम्हीं सोचो सब
क्योंकि

हूँ तो तुम्हारी ही

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