तुम कभी मुझसे

तुम कभी मुझसे खफा नहीं होना
मर ही जायेंगे जुदा नहीं होना

वफाओं के दौर भी अजीब होते हैं
दूर रहने वाले भी करीब होते हैं
हूँ गुनाहगार पर हसरत है तेरी
इश्क़ है पर गुनाह नहीं होना
तुम कभी मुझसे......

मेरी फितरत में कहां दिल लगाना था
आता था रूठना ही नहीं मनाना था
तेरे इश्क़ ने सिखा दिया सब मुझको
मुझको आशिक ही रहना है खुदा नहीं होना
तुम कभी मुझसे.......

दर्द का दौर भी गुज़र जाएगा
मौसम ए इश्क़ भी निखर आएगा
तुम कभी ना कभी मिलोगे मुझे
हमसफ़र रहो अब जुदा नहीं होना
तुम कभी मुझसे......

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