कितना रुलाओगे
कितना रुलाओगे हमको कन्हैया
क्या बन्दगी के भी काबिल नहीं हैँ
तुम बन गए हो हमारी ही ज़िन्दगी
अब मत कहना के शामिल नहीं हैं
तुमने घायल किया किस अदा से
नाज़ फिर भी मेरे दिल को तुम पर
कत्ल होने की भी हमने है ठानी
ये मत कहना तू कातिल नहीं है
कितना रुलाओगे......
तेरे इश्क़ में रोने का मज़ा है
दिल मेरा प्यारे तुझपर फ़िदा है
नहीं ठुकराना तुम हमको प्यारे
मन इतने भी काबिल नहीं हैं
कितना रुलाओगे.......
ये अश्क़ भी इश्क़ की है निशानी
सब आशिकों की यही है कहानी
मेरी कश्ती भँवर में न डूबे
ये मत कहना तू साहिल नहीं है
कितना रुलाओगे..........
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