किंझ देखां

किंझ देखां तैनू मेरेया सजणा
मेरी देखण वाली अख नहीं
कदे लगे तूँ कोल मेरे ही
तू तां मैथों वख नहीं

क्यों नहीं दिसदा तेरा मुखड़ा
क्यों तू मैनू नज़र नहीं
लगदा मैं तैनू बुला ही नहीं सकी
तांघ् विच कोई असर नहीं

या कदे इश्क़ नहीं होया नाल तेरे
एह वी मेरे दिल दा भुलेखा है
रो रो इंझ् ही मुक् जाणी मेरी जिंद
बस देणा तेरी कोई लेखा है

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून