ये भी तेरे
तुझे चाहने से खुद को नहीं रोक पाते हम
ये भी तेरे इश्क़ की इंतहा है सनम
जितना है सोचा तुझको ना चाहें
उतनी ही दिल से निकलती हैं आहें
नज़र आ रही हैं तेरी तिरछी निगाहें
देखा जो तुमने ये क्या है कम
ये भी तेरे..........
तेरी आरज़ू है तेरी ही तमन्ना
हमको तो साहिब तेरा है बनना
तुम अपना बना लोग यकीं मेरे दिल को
मेरी चाहतों में नहीँ कोई दम
ये भी तेरे..........
तेरा इश्क़ सच्चा तू मेरा खुद है
मुझमें है फिर भी मुझसे जुदा है
तुमने जो चाहा तुम्हें चाह रहे हैँ
वरना कहां थे काबिल तेरे हम
ये भी तेरे........
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