कब आओगे

लगी आग दिल में पूछे
कब आओगे
क्यों तुम बिन और न सूझे
कब आओगे
ना नींद है अब न चैन है
कब आओगे
रूह मेरी बहुत बेचैन है
कब आओगे
जला रही है मुझे अब
कब आओगे
जान चली जायेगी मेरी
तब आओगे

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