कोई शिकवा नही
कोई शिकवा नही किसी से मुझे
बस जिंदगी से ही शिकायत है
तेरे बगैर गुज़र रही है क्यों ये
कर रही दिल से मेरे बगावत है
मुझपे एक बार भी नज़रे कर्म नही
लाखों पर बरस रही इनायत है
एक बार देख तो ले जी भर के
जानती हूँ तुझको भी मोहबत है
कोई शिकवा नही किसी से मुझे
बस जिंदगी से ही शिकायत है
तेरे बगैर गुज़र रही है क्यों ये
कर रही दिल से मेरे बगावत है
मुझपे एक बार भी नज़रे कर्म नही
लाखों पर बरस रही इनायत है
एक बार देख तो ले जी भर के
जानती हूँ तुझको भी मोहबत है
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