क्यों फासले हैं
क्यों ये फासले है तेरे मेरे दरमियान
कब सुनाओगे मुझे इश्क़ की दास्तान
कब मै उड़ के चाँद को छु पाऊँगी
कब मिलेगी मुझे इश्क़ तेरे की उड़ान
कब बह पाऊँगी मै इश्क़ के समंदर में
कब ना होंगी दूरियां तेरे मेरे दौरान
कब तुम हटाओगे चिलमनो को यु
अपनी नज़र से देखु मै खुला आसमान
हो ना जाये वक़्त की मनियाद खत्म
आ के घर बना दो अब तक है ये मकान
क्यों कसक सी उठ रही दिल में मेरे आज कल
अब तो अश्क़ बह चले रोये ये दिल नादान
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