खून के आंसू

जीने दो तन्हाईओं में मुझे
खामोश होने दो अंधेरों में

तू मिले न मिले अब चाह नही
मेरी कशती का कोई मल्लाह नही

यूँ ही बीत जाये जिंदगी मेरी
मेरे हालात इ्ज़ाजत नही देते

मरने दो हसरतों को यूँ ही
मेरे जज्बात इज़ाज़त नही देते

चीर दो रूह को गहराई तक
अब मौत सी खामोश हो जाए

होश ना रहे जहान का कुछ भी
उम्र भर के लिए बेहोश हो जाए

बहने दो खून के इन अश्क़ो को
या ये रूह तेरे आगोश हो जाए

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