राधा कृष्ण
भागवत की कथा में देख राधा
व्यास जी न लिख पाये राधा चरित
शुकदेव जी रहे शुक निकुंज को
कर रहे श्री राधा श्री राधा वंदित
राधा रानी शुकदेव सों बोली
अब तुम रटो कृष्ण कृष्ण नित्य
राधा ने शुकदेव को ब्रह्मसम्बन्ध करायो
शुकदेव ने सद्गुरु श्री राधे को पायो
ऐसो राधे ने शुकदेव को सम्बंध करायो
शुकदेव के मुख पर राधे नाम न आयो
राधे राधे जपत जी ऐसो भाव बन जायो
भागवत में कहीँ राधनाम भी न आयो
देह है कृष्ण
आत्मा है राधा
शब्द हैँ कृष्ण
अर्थ है राधा
गीत हैँ कृष्ण
संगीत है राधा
वंशी है कृष्ण
स्वर है राधा
समुद्र हैँ कृष्ण
तरंग है राधा
फूल हैं कृष्ण
सुगंध है राधा
राधा राधा उल्टा भी बोले
धारा धारा होइ जाये
आँख मूँद कर शांत करो चित
हर पल राधा ही पाये
राधा नाम में ऐसी शक्ति
दे देती है कृष्णप्रेम की भक्ति
Comments
Post a Comment