तेरे दर का पत्थर
पत्थर ही बना लो चौखट का
कोहिनूर तो मेरे बस तुम हो
क्या लेना अब इस दुनिया से
ये आँख तेरे लिए ही नम हो
कैसे देखूं तेरी चाहतों को
मुझ पर हो रही इनायतों को
तुम आके मुझे ऐसे मिले
पंख लग गए मेरी हसरतों को
तुम पर मर जाऊँ मिट जाऊँ
बस यही मेरी तम्न्ना है
जन्मों से ही बस तेरी थी
अब तेरी होकर रहना है
अब सज़दा है तेरी चौखट पे
बस पत्थर बन कर रह जाऊं
तुम रख लो अपने कदमों में
तेरे दर से ना खाली जाऊँ
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