कैसा ये इश्क़ है
कैसा ये इश्क़ है जानू ना
इस दिल क कहा मानू ना
तड़प है ये कैसी तू ही बता
क्यों आँखें मेरी रही अश्क़ बहा
क्या पिघला सा जा रहा है
क्या अंदर मेरे आ रहा है
क्यों हुई जा रही मैं दीवानी
क्यों हो गयी सब से बेगानी
कैसी आग सी मुझको जलाये
क्यों दिल ये कही न चैन पाये
क्यों आँखों से नींदे हुई गुम
क्यों हर पल याद आ रहे तुम
क्यों दिल बेकरार हो रहा है
क्यों इतना प्यार हो रहा है
क्यों दिल चैन पाये न पल
क्यों शब्द् बन गए है गजल
क्यों इश्क़ तेरे की खुमारी
क्यों बढ़ती ही जाये बेकरारी
क्यों सांसे मेरी रूक रही मेरी
क्यों आहट सुनी मैंने तेरी
ये तेरी चाहतों का असर है
बस तू ही मेरा दिलबर है
इस दिल में कितना है प्यार
अब तो आ जा सनम एक बार
बाँवरी मीता की सुन ले पुकार
अब तो आ जा सनम एक बार
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