तेरी उडीक

क्यों विछड़ि सजणा मैं तेथों
तू सागर ते नदी सों मैं

हुन वी मिलजा हुन वी आवें
लायी उडीक कदों तोँ मैं

डिगदी उठदी भजदी आवां
तैनू तकया जदों तो मैं

होर न कोई सजणा मेरा
छड् ती उम्मीद सबों तो मैं

रो रो तेरे तरले पयी कडदि
राह तक्दी हाय कदों तोँ मैं

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