बरस रहा है
बरस रहा है प्रेम रस
तन मन दियो भिगोई
ऐसी बाँवरी भई मैं
सुध बुध रही ना कोई
बस तुझको पुकारू अब
जग से बेगानी होई
बन गयी तेरी जोगनिया
देख मैं बाँवरी होई
तेरा ही नाम रटु मैं
दूजा काम ना कोई
देख कर छवि तेरी बांकी
मेरी सुध बुध खोई
बाँवरी कहे सब साखियां
सच मे ही बाँवरी होई
बाँवरी मीता
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