इस दासी को अपनी कीजो

प्रेम ही मेरो सेवा होय
और बाँवरी जाने नही कोय
कैसो सेवा साधन कोई ना
मन आपणो ही साधन होय

प्रेम ही जप तप प्रेम ही पूजा
बिन प्रेम नही साधन दूजा
प्रेम में ही मेरो जीवन जाए
बिन प्यारे तेरे साँस न आए

भाव से ही तेरो सेवा होय
इस बाँवरी को भाव न कोय
चरणन की सेवा मोहे दीजो
इस दासी को अपनी कीजो

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