राधे राधे रटत ही

राधे राधे रटत ही
हो गयी मै बावँरिया
राधे राधे रटत ही
मिलेगा वो सांवरिया

बरस रहा है प्रेम रस
राधा कृपा की कोर
जित देखूँ वही मोहना
दिखत है चहुँ और

बंसी अपनी सुनाय के
सुध दी मेरी बिसराये
इन अँखियन में और कुछ
तुझ बिन नही समाय

अब तो आ जा मोहना
दासी ये पुकार लगाए
रो रो कर मेरे प्राण भी
तन से निकल ना जाए

बाँवरी मीता

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