तू समाया मुझ में
तू समाया मुझ में है इस कदर
तेरे अहसास को जी रही हु
म्य पिलाई है जो तूने मुझे
घूंट घूंट उसके पी रही हु
बढ़ती जाती फिर भी प्यास मेरी
लगता नही कभी भी बुझ पायेगी
जितना पीती हु प्यासी होती हु
जान के साथ ही ये प्यास जायेगी
तू समाया मुझ में है इस कदर
तेरे अहसास को जी रही हु
म्य पिलाई है जो तूने मुझे
घूंट घूंट उसके पी रही हु
बढ़ती जाती फिर भी प्यास मेरी
लगता नही कभी भी बुझ पायेगी
जितना पीती हु प्यासी होती हु
जान के साथ ही ये प्यास जायेगी
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