उठ रही मन में पीर

उठ रही मन में पीर पिया की
काहे नही बुलाय
पिया अब तो रहा ना जाए

निसदिन मेरे नैन बहत है
दिल की पीर ही रोज़ कहत है
काहे रोज़ सताए
पिया..........

मैं देखूँ जिस और सखी री
दीखे बस चितचोर सखी री
सुध मेरो बिसराए
पिया............

तेरी लगन में हुई बाँवरिया
अब जल्दी मोहे मिल सांवरिया
काहे देर लगाए
पिया.............

अपनी सुध अब मैंने गवाई
तेरो संग अब नेह लगाई
तू मुझको बिसराए
पिया.............

बाँवरी मीता

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