मेरी हसरतें

छिपा लो एक बार आगोश में अपने
की तुमसे दूर अब रहना है मुश्किल
दर्द ए जुदाई ले लेगा जान अब
इंतहा हो रही और सहना है मुश्किल

कैसे रोकूँ इन हसरतों को मैं
ये तो बेताब हुई जाती हैं
नही इन पर जोर मेरा कोई
ये तो बेनकाब हुई जाती हैँ

बेकरार हूँ और ना बेकरार करो
कर सको तो थोडा सा प्यार करो
कैसे छोड़ देते हो रुसवा करके
ये भी क्या सितम है इंतज़ार करो

मत जलाओ दिल जलों को इतना
की दिलजले खुद ही जल जाएँ
होश में रहना अब हुआ मुश्किल
दुआ करो की कुछ सम्भल जाएँ

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