बताओ क्यों
नही काबिल थी की तुझे सज़दा करूँ
अपने सज़दे के लायक भी बनाया है क्यों
नही मालूम था की खुदा भी है जहाँ में कोई
तूने अपने होने का एहसास कराया है क्यों
यूँ ही मांगती रहती उम्र भर अपने लिए
बिन मांगे ही मिलेगा सब ये सिखाया है क्यों
तेरे एक कदम पे सौ कदम होंगे मेरे
था ये वादा तेरा तो वादा भुलाया है क्यों
क्या मज़ा इश्क़ का मिलने में नही कोई
फिर ना मिलने पे ऐसे भला तड़पाया है क्यों
कब मिलोगे एक बार तो बता देते मुझको
मुझको तेरे होने का एहसास दिलाया है क्यों
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