तुम हो
तुम गीत ग़ज़ल भजन में हो
हर भाव में हो हर मन में हो
मैं तुम को ढूंढ ढूंढ के थक गयी
देखा तो हर जीवन में हो
हैँ अद्भुत रूप तुम्हारे सब
तुम पात पात कुंजन में हो
हो हंसी में अबोध बालक की
तुम प्राणी के भोलेपन में हो
नही छल से कोई भी पा सकता
तुम प्रेम स्वरूपि जन में हो
प्रेम होके प्रेम में बस्ते हो
तुम करुणा भरे हर मन में हो
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