सुध अब लीजो मोरी

मैं तो हूँ कपटी अज्ञानी
गुण न होय कछु मेरो

नाथ किरपा कीजिये अबहु
दास अब हूँ तेरो

जैसो कैसो शरण लीजो
शरण में हूँ तिहारी

दर्शन दीजो किरपा कीजो
अब मेरे कुंज बिहारी

प्रीतम तुम संग प्रेम की
बांध ली है डोरी

शरण पड़े की लाज राखो
सुध अब लीजो मोरी

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