दिल का क्या करूँ
हो इश्क़ तेरा मेरा शमा परवाने सा
तू रोज़ जले मैं रोज़ मरुँ
रोज़ मरना ही इबादत हो मेरी
नज़र में तेरी यही सज़दा करूँ
रोज़ यही पैगाम दे मुझको
रोज़ रोज़ तेरे गम में मरुँ
तू ही खुदा मेरा तू ही यार भी
अब और बता फिर किसपे मरुँ
तेरे इश्क़ का हर दर्द कबूल मुझे
तू रोज़ दे मैं रोज़ चखूँ
तेरी तड़प में भी स्वाद है प्यारे
दे दुआ यूँ ही तड़प मरुँ
और किसी महफ़िल में जाना नही
तेरे दर पर सजदा रोज़ करुँ
हाय मार देगा तेरा इश्क़ मुझे
तुझपे अब मैं पल पल मरुँ
बेकरार दिल को अब करार नही
बता हाल ए दिल अब क्या करुँ
हटता नही तेरी चौखट से अब
इस दीवाने दिल का क्या करूँ
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