लाडली की कृपा

एक बार किशोरी जू आयो वृन्दावन से वापिस
वृषभानु जी पूछें लाडली तू क्यों भई उदास

काऊ ने आज कछु तोसे कह दियो
नाय बोली लाडली काऊ ने कछु न कह्यो

कीर्ति माँ बोली लाडली ऐसो हे सके नही
मेरो लाडो बिन बात के उदास रहे नही

बोली किशोरी खूब कृपा बंट रही नन्द भवन में आज
जिनके पास पात्र नही वाको देख भई निराश

तब से प्रण कियो किशोरी कोई खाली न जायगो
अपात्र को भी कृपा पात्र लाडली ही बनायगो

ऐसो कियो किशोरी सब प्रेम धन पा जायगो
कान्हा के प्रेम ते कोई वंचित न रह पायगो

तभी से किशोरी जू सबको कृपा पात्र बनाती हैँ
युगल जोड़ी की मधुरिमा के दर्शन  करवातीं हैँ

जय जय श्री राधे

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